उनमें नाटकीय व्यंग्य है, गतिशीलता है, अप्रत्याशित एवं मौलिक परिस्थितियों के उद्भावन की दक्षता है और अलौकिक, आधिदैविक, अतिक्रमित प्राकृतिक पात्रों-घटनाओं का प्रयोग होने पर भी चरित्रों और परोक्ष चित्रण द्वारा यथार्थता या वास्तविकता का आभास देने में इन नाटकों को सफल कहा जा सकता है।
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उनमें नाटकीय व्यंग्य है, गतिशीलता है, अप्रत्याशित एवं मौलिक परिस्थितियों के उद्भावन की दक्षता है और अलौकिक, आधिदैविक, अतिक्रमित प्राकृतिक पात्रों-घटनाओं का प्रयोग होने पर भी चरित्रों और परोक्ष चित्रण द्वारा यथार्थता या वास्तविकता का आभास देने में इन नाटकों को सफल कहा जा सकता है।